
साइना नेहवाल स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी ने लंबे समय के साथी पारुपल्ली कश्यप से रविवार को अपने अलग होने की घोषणा की. इंस्टाग्राम हैंडल पर साइना ने अपने एक बयान जारी कर इस बारे में जानकारी दी. 7 साल पहले शादी हुई थी साइना और पारुपल्ली की . पुलेला गोपीचंद बैडमिंटन एकेडमी में दोनों हैदराबाद में ट्रेनिंग लेते थे और एक साथ इस खेल में आगे बढ़े. काफी लम्बे समय तक रिलेशनशिप में रहने के बाद दोनों ने हमसफ़र बनने का फैसला लिया और अंत में उन्होंने 2018 में शादी करली थी.
अगर हम कांस्य पदक की बात करे तो साइना नेहवाल ने 2012 ही लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीता और उसके बाद 2015 में वर्ल्ड बैडमिंटन रैंकिंग में सबसे पहले पायदान पर पहुंचकर इसने इतिहास ही रच दिया.साइना विश्व की नंबर वन शटलर बनने वाली पहली भारत की महिला खिलाड़ी थीं । sports में साइना भारत के लिए एक बहुत ही बरी वर्ल्ड आइकन रहीं । वहीं अगर हम पारुपल्ली कश्यप की बात करे तो इन्होने ने 2014 में ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक हाशिल किया और वर्ल्ड रैंकिंग में वे छठे पायदान तक पहुंचे ।अगर हम उनकी पहचान की बात करे तो इन्होने इंटरनेशनल लेवल पर जा कर अच्छे प्रदर्शन से अपनी एक अलग ही पहचान छोरी है ।
रविवार देर रात साइना नेहवाल ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी में एक बयान जारी किया. उन्होंने लिखा है , ‘जिंदगी कभी-कभी हमें अलग-अलग दिशाओं में ले कर जाती है. काफी सोच-विचार करने के बाद, हम दोनों ने ,कश्यप पारुपल्ली और मैं, अलग होने का फैसला किया है. हम अपने और एक-दूसरे के लिए शांति, तरक्की और राहत चुन रहे हैं. मैं उन यादों के काफी आभारी हूं और आगे बढ़ने के साथ साथ सिर्फ अच्छे की कामना करती हूं. इस दौरान हमारी निजता को समझने और उसका सम्मान करने के लिए धन्यवाद.’ कश्यप ने अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया है.
साइना ने भारत में बैडमिंटन को फिर से जिंदा किया
प्रकाश पादुकोण और पुलेला गोपीचंद के बाद भारत का कोई खिलाफ बैडमिंटन के खेल में वैश्चिक स्तर पर अपनी पहचान नहीं बना सका. वह साइना नेहवाल ही थीं, जिन्होंने 2008 के बीजिंग ओलंपिक में विमेन सिंगल्स के क्वार्टर फाइनल में पहुंचकर भारत में इस खेल को नया जीवन दिया. चार साल बाद 2012 के लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर वह ओलंपिक पोडियम पर पहुंचने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बनीं. इसके बाद भारत में बैडमिंटन खिलाड़ियों की नई पौध आनी शुरू हुई, जो इस खेल में विश्व स्तर पर देश का नाम रोशन कर रहे हैं.
कश्यप ने भारतीय बैडमिंटन की खोई पहचान दिलाई
पारुपल्ली कश्यप ने 2010 में दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीतकर सुर्खियों में आए. वह 2012 के लंदन ओलंपिक में नीलुका करुणारत्ने को हराकर क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे और ऐसा करने वाले भारत के पहले पुरुष बैडमिंटन खिलाड़ी बने. उन्होंने 2014 के ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया. वह 32 वर्षों में ऐसा करने वाले पहले पुरुष भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी थे. साइना और पारुपल्ली की मुलाकात 1997 में एक कैम्प के दौरान हुई थी.
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